जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में 15 साल रह लेने के बाद वहां के निवासी होने का दर्जा


सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत केंद्रशासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को विशेष दर्जा देने के किसी प्रस्ताव की खबर को खारिज कर दिया। हालांकि, वह इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में अधिवास के नए नियम (न्यू डॉमिसाइल रूल्स) नोटिफाइ करेगी। सूत्रों ने इशारों-इशारों में बताया कि दोनों प्रदेशों के लिए अधिवास नीति (डॉमिसाइल पॉलिसी) जल्द ही अधिसूचित की जाएगी। इसमें निवास की समय-सीमा का विशेष प्रावधान किया जाएगा। इन दोनों प्रदेशों में निवासी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कम-से-कम 15 वर्ष तक वहां रहने का नियम प्रस्तावित है। हालांकि, आखिरी फैसला अभी नहीं लिया गया है।


कम-से-कम 15 वर्ष रहने की शर्त?नई डॉमिसाइल पॉलिसी के तहत दोनों प्रदेशों में जमीन खरीदने का अधिकार भी उसे ही दिया जाएगा जो वहां कम-से-कम 15 वर्षों से रह रहा हो। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 15 साल रह लेने के बाद जब वहां के निवासी होने का दर्जा मिल जाएगा तो फिर प्रदेश की सिविल सर्विसेज परीक्षाओं और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में भी वरीयता दी जाएगी। हालांकि, सरकार की योजना के मुताबिक इन प्रदेशों में फैक्ट्रियां लगाने या कारोबार करने को उत्सुक उद्योगपतियों एवं बिजनसमेन पर डॉमिसाइल के ये नियम लागू नहीं होंगे। सरकारी तंत्र से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'उन्हें इंडस्ट्री या बिजनस यूनिट लगाने के साथ-साथ मजदूरों/अधिकारियों के निवास के लिए कॉलोनी बनाने के लिए भी जमीन का मालिकाना हक तुरंत दे दिया जाएगा।'



इन्हें मिल सकती है छूट?
किसी भी आम नागरिक को डॉमिसाइल पॉलिसी का पालन करना पड़ेगा, लेकिन सिविल सर्वेंट्स और उनके बच्चों को नियम में कुछ छूट मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, 'कई राज्यों के नियम के आधार पर सिविल सर्वेंट्स और उनके बच्चों की डॉमिसाइल उनके कैडर स्टेट को ही माना जाता है। चूंकि अब भविष्य के सारे सिविल सर्वेंट्स को जेऐंडके की जगह केंद्रशासित प्रदेशों के लिए लागू एजीएमयूटी कैडर दिया जाएगा, इसलिए हमें उन्हें जेऐंडके और लद्दाख का डॉमिसाइल स्टेटस देने से पहले विचार करना होगा।'

कांग्रेस-एनसी पर आरोप
वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भी आर्टिकल 371 के तहत विशेष दर्जा देने की अफवाह को कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की साजिश करार दिया। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'यह (जेऐंडके और लद्दाख को आर्टिकल 371 के तहत विशेष दर्जा दिए जाने का) अफवाह कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से मीडिया में कहानियां गढ़कर लोगों के मन में संदेह पैदा करने की साजिश का हिस्सा है।' उन्होंने कहा, 'जेऐंडके को पिछले दरवाजे से दोबारा विशेष दर्जा देने की कोई योजना नहीं है। मैं स्पष्ट कर रहा हूं कि आर्टिकल 370 और आर्टिकल 371 में कोई पारस्परिक संबंध नहीं है। आर्टिकल 371 सिर्फ विशिष्ट क्षेत्र या राज्य की अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं के संरक्षण के लिए है।