करतापुर साहिब में कीर्तन करने के लिए रागी सिंह जत्थों के बारे में (पीएसजीपीसी) 6 जनवरी को अंतिम निर्णय करेगी




 

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से गुरुद्वारा करतापुर साहिब में कीर्तन करने के लिए भेजे जाने वाले रागी सिंह जत्थों के बारे में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) 6 जनवरी को अंतिम निर्णय करेगी। 
 

इस दिन गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में पीएसजीपीसी के अध्यक्ष भाई सतवंत सिंह की अगुवाई में बैठक होगी, जिसमें आकाफ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्यों के भी शामिल होने की संभावना है। दरअसल, जब से करतारपुर कॉरिडोर खुला है, आए दिन भारत से आने वाले सिख जत्थे वहां पहुंचकर कीर्तन करना शुरू कर देते हैं। 

इनमें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से भेजे जाने वाले रागी सिंह जत्थे शामिल हैं। पिछले दिनों आए कीर्तनी जत्थे ने 12 से 22 दिसंबर तक हर दिन वहां कीर्तन किया तो यह मामला पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संज्ञान में आया और उसने 23 दिसंबर के बाद गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में इन जत्थों के कीर्तन करने पर रोक लगा दी। 

अब एसजीपीसी ने पीएसजीपीसी के अध्यक्ष भाई सतवंत सिंह को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि  गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में कीर्तन करने के लिए भेजे जाने वाले रागी सिंहों व दस लांगरियों (लंगर तैयार करने वाले लोगों) के लिए दस दिन का वीजा व उनके रहने का प्रबंध किया जाए, ताकि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में गुरुबाणी का कीर्तन गुरु मर्यादा के अनुसार किया जा सके। 

इस संबंध में 6 जनवरी को बुलाई गई  बैठक की पुष्टि करते भाई सतवंत सिंह ने अमर उजाला को भेजे एक संदेश में कहा कि एसजीपीसी सिखों की एक बड़ी संस्था है। उनकी इच्छा है की एसजीपीसी व पीएसजीपीसी एक दूसरे के साथ मिलकर काम करे। एक बड़ी संस्था होने के बावजूद भी एसजीपीसी ने उस प्रोटोकाल पर अमल नहीं किया, जो एक देश की संस्था दूसरे देश की संस्था के साथ काम करने से पहले करती है। 

एसजीपीसी ने बिना किसी की अनुमति से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में कीर्तनी जत्थे भेजना शुरू कर दिया। एसजीपीसी ने जत्थे भेजने से पहले पीएसजीपीसी को कोई पत्र व्यवहार भी नहीं किया और न ही पीएसजीपीसी को विश्वास में लिया। इसलिए गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के प्रबंधकों ने एसजीपीसी की ओर से भेजे गए कीर्तनी सिंहों को कीर्तन करने से रोका है। 

रागी सिंहों को कीर्तन करने से रोकने के बाद एसजीपीसी ने उनके नाम पर एक पत्र भेजा है, जिसमें यह भी लिखा हुआ है कि एसजीपीसी लंगर तैयार करने के लिए लांगरी भी भेजना चाहती है। भाई सतवंत सिंह ने अपने संदेश में कहा कि यह तो 6 जनवरी को तय होगा कि एसजीपीसी के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना है या नहीं। उन्होंने बताया पीएसजीपीसी ने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में लंगर व अन्य व्यवस्था के लिए 150 लोगों की एक टीम काम पर लगा रखी है। फिर भी 6 जनवरी को हो रही पीएसजीपीसी की कार्यकारिणी की बैठक में एसजीपीसी के पत्र पर चर्चा की जाएगी।

कुछ मामला हो गया था, इसलिए जत्थे भेजने पर लगाई रोक : डॉ. रूप सिंह 
एसजीपीसी के चीफ सेक्रेटरी डॉ रूप सिंह ने बताया कि पीएसजीपीसी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग की गई है कि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में गुरुबाणी कीर्तन करने के लिए रागी सिंहों व लंगर तैयार करने के लिए दस लांगरी को भेजने की अनुमति दी जाए। जब उनसे पूछा गया की एसजीपीसी ने तो पहले ही गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में कीर्तन के लिए जत्थे भेजने शुरू कर दिए थे, अब बंद क्यों कर दिए। 

इस पर डॉ. रूप सिंह ने कहा कि कुछ बात हो गई थी, इसलिए जत्थे भेजने बंद कर दिए है। जल्द ही मामला सुलझा लिया जाएगा। जबकि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के प्रबंधकों का कहना था कि एसजीपीसी ने इसके लिए पीएसजीपीसी से कोई मंजूरी नहीं ली थी। इसलिए जत्थों के कीर्तन करने पर रोक लगाई गई है।