भाजपा नेताओं के मतभेद, दिग्गजों के सामने उतारे कमजोर उम्मीदवार


भाजपा के शीर्ष नेताओं के मतभेद दिल्ली विधानसभा चुनाव को अभी से प्रभावित करने लगे हैं। टिकट बंटवारे में क्षेत्र से उपयुक्त उम्मीदवारों के चयन की बजाय नेताओं की पसंद-नापसंद को ज्यादा तरजीह मिली है और यही कारण है कि कार्यकर्ता अभी से गलत उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने की आवाज उठाने लगे हैं।


 

 

सिसोदिया के सामने कमजोर उम्मीदवार 

पटपड़गंज से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सामने भाजपा ने रवि नेगी को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी यहां से पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह को मैदान में उतारना चाहते थे, लेकिन संगठन मंत्री सिद्धार्थन के अड़ जाने के बाद यह सीट रवि नेगी के खाते में चली गई। पेशे से प्रॉपर्टी डीलिंग के बिजनेस में हाथ आजमाने वाले नेगी क्षेत्र के लोगों के लिए ही नए हैं। ऐसे में वे सिसोदिया को कितनी टक्कर दे पाएंगे बड़ा सवाल बन गया है। 

लक्ष्मीनगर सीट से भाजपा का उम्मीदवार कमजोर

इसी प्रकार लक्ष्मीनगर सीट से भाजपा ने अभय वर्मा को मैदान में उतारा है। इन्हें भी पार्टी के संगठन मंत्री सिद्धार्थन का आशीर्वाद मिला है, जबकि प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी यहां से पूर्व के उम्मीदवार बीबी त्यागी या पूर्वांचली चेहरे दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारना चाहते थे। लेकिन सिद्धार्थन के अड़ जाने के बाद यह सीट वर्मा के खाते में चली गई जबकि इसी सीट से वे 2013 में उम्मीदवार रहे थे और तीसरे स्थान पर रहे थे। अभय वर्मा को मौजूदा आप विधायक नितिन त्यागी के सामने बेहद कमजोर उम्मीदवार बताया जा रहा है, जबकि पूर्वांचल के लोगों की अच्छी खासी आबादी वाले इस इलाके में पूर्वांचली उम्मीदवार भाजपा के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता था।

करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट को टिकट 

सिद्धार्थन और मनोज तिवारी की लड़ाई में एक और सीट भाजपा के खाते से जाती हुई दिख रही है। पार्टी ने करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है। वे पूर्व विधायक रहे हैं और पूर्व में मजबूत नेता के तौर पर काम करते रहे हैं, लेकिन इस सीट की परिस्थिति मौजूदा समय में बदलकर पूरी तरह पूर्वांचली प्रभाव वाली हो गई है। यही देखते हुए आम आदमी पार्टी ने 2015 के चुनाव में कपिल मिश्रा तो 2020 के चुनाव में दुर्गेश पाठक को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी इस सीट पर पूर्वांचली चेहरे अरबिंद सिंह को मैदान में उतारा है जो प्रवासी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बताये जाते हैं। ऐसे में भाजपा के लिए भी कोई पूर्वांचली चेहरा यहां से मजबूत उम्मीदवार हो सकता था। लेकिन माना जा रहा है कि पुराने मोहरे बिष्ट पर दांव खेलकर भाजपा ने यह सीट भी अपने हाथों से गंवा दी है।   

अंतिम समय में मनोज तिवारी अपने चहेते मनीष सिंह को दिल्ली कैंट से टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। मनीष सिंह लगभग ग्यारह सालों तक वायुसेना में नौकरी कर चुके हैं। वे सियाचिन और कारगिल क्षेत्र में सेवारत रहे हैं। माना जा रहा है कि सैनिक परिवारों की बहुलता वाले दिल्ली कैंट में उन्हें अपनी इस पूर्व छवि का फायदा मिल सकता है।

भाजपा सांसद विजय गोयल के करीबी जय प्रकाश को सदर बाज़ार से उम्मीदवारी मिल जाने को गोयल की जीत बताया जा रहा है, जबकि अभी कुछ ही समय पहले तिवारी ने उन्हें अपनी टीम से निकालकर पार्टी में खलबली मचा दी थी। फिलहाल, गोयल के आशीर्वाद के कारण जय प्रकाश की यह सीट सुरक्षित मानी जा रही है।