निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मे मामले भाजपा और आप पर भड़कीं निर्भया की मां


निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में फांसी की तारीख आने के बाद भी दोषियों की लेटलतीफी और नियम-कानून के चलते दोषियों की फांसी में देरी होती दिख रही है उससे निर्भया की मां काफी परेशान हैं। शुक्रवार को तो वह  फूट-फूटकर रोने लगीं।


इस मामले में जिस तरह गुरुवार को भाजपा और आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए उससे निर्भया की मां आशा देवी बहुत आहत हैं। उन्होंने कहा कि इतने साल तक मैं राजनीति पर कभी नहीं बोली लेकिन आज कहती हूं कि जिस तरह मेरी बच्ची की मौत पर राजनीति हो रही है वह ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि अब मैं जरूर कहना चाहूंगी कि जब 2012 में घटना हुई तब इन्हीं लोगों ने हाथ में तिरंगा लिया और काली पट्टी बांधी, खूब रैलियां कीं, खूब नारे लगाए। लेकिन आज यही लोग उस बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कोई कह रहा आप ने रोक दिया, कोई कह रहा है मुझे पुलिस दे दीजिए दो दिन में रोक के दिखाऊंगा।

आशा देवी ने आगे कहा, तो अब मैं जरूर कहना चाहूंगी कि ये अपने फायदे के लिए दोषियों की फांसी को रोके हैं। हमें इस बीच में मोहरा बनाया, इन दोनों के बीच में मैं फंसी हूं। तो मैं कहना चाहती हूं खासकर प्रधानमंत्री जी से कि आपने 2014 में बोला था, 'बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार'। मैं साहब आपसे हाथ जोड़कर कहना चाहती हूं कि जिस तरह से आप दोबारा सरकार में आए हैं, जिस तरह से आपने हजारों काम किए। इस कानून का संशोधन कीजिए क्योंकि कानून बनाने से नहीं होगा। मैं आपसे हाथ जोड़कर कहना चाहती हूं कि एक बच्ची की मौत के साथ मजाक मत होने दीजिए, उन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाइए और देश को दिखाइए कि हम देश के रखवाले हैं, महिला की सुरक्षा करने वाले हैं।



गुरुवार को क्या बोले थे माता-पिता



चाहे कितनी भी कानूनी तरकीबें लगा लें लेकिन दोषी फांसी की सजा से नहीं बच सकते। यह बात गुरुवार को निर्भया के पिता ने कही। यह बयान गुरुवार को दोषियों की फांसी की तारीख के बारे में अदालत द्वारा जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद आया है। उन्होंने कहा कि दोषियों का डेथ वारंट रद्द करने के मुद्दे पर अदालत शुक्रवार को सुनवाई करेगी। 

निर्भया के पिता ने कहा कि आरोपी व दोषियों के लिए तमाम कानून हैं लेकिन पीड़ित परिवार के लिए कोई कानून नहीं है। इस वजह से ही सारी परेशानी हो रही हैं। तब भी हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है और इंसाफ के लिए लड़ते रहेंगे। अब दोषियों की फांसी दूर नहीं है और उन्हें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। यह एक दिन होना ही है।