'थ्रू-द-रडार' तकनीक रक्षा क्षेत्र से लेकर स्वास्थ्य और परिवहन समेत कई क्षेत्रों में उपयोगी


दीवार के आर- पार की गतिविधियों की जानकारी मिल जाए तो घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले पुलिसकर्मियों, दमकलकर्मियों और सुरक्षा बलों को आपात स्थितियों से निपटने में मदद मिल सकती है। लेकिन अब तक ऐसा कोई उपकरण हमारे पास उपलब्ध नहीं था। अब भारतीय शोधकर्ताओं ने चावल के दाने से भी छोटी चिप पर एक ऐसा रडार विकसित किया है, जो इस तरह की परिस्थितियों से निपटने में मददगार हो सकता है।


भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलुरु के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित थ्रू-द-वॉल रडार (टीडब्ल्यूआर) एक तरह की इमेजिंग तकनीक है। इस तरह के रडार रक्षा क्षेत्र से लेकर कृषि, स्वास्थ्य और परिवहन समेत विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी हो सकते हैं। इस रडार को विकसित करने वाले शोध दल का नेतृत्व कर रहे भारतीय विज्ञान संस्थान के इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर गौरब बैनर्जी ने बताया कि दुनिया के कुछ ही देशों के पास आज किसी रडार के पूरे इलेक्ट्रॉनिक्स को एक चिप पर स्थापित करने की क्षमता है। संपूरक धातु ऑक्साइड अर्धचालक (सीमॉस) तकनीक के उपयोग से विकसित इस रडार में एक ट्रांसमीटर, एक उन्नत फ्रीक्वेंसी सिंथेसाइजर और तीन रिसीवर लगाए गए हैं, जो जटिल रडार संकेत उत्पन्न कर सकते हैं। इन सभी इलेक्ट्रॉनिक घटकों को एक छोटी-सी चिप पर लगाया गया है।