आईएस की शाखा बन सकती है खतरा अफगानिस्तान से लगते देशों के लिए : यूएन


संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में चेताया है कि दुर्दांत आतंकी संगठन आईएस की शाखा दक्षिण एशिया में अभी भी सक्रिय है। इसने इस क्षेत्र के तहरीक-ए-पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठनों के साथ संपर्क बना लिए हैं। यह शाखा अफगानिस्तान से लगते देशों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।


अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर आईएसआईएल (दाएश) के खतरे को लेकर महासचिव की 10वीं रिपोर्ट और खतरे से निपटने में सदस्य राष्ट्रों का समर्थन जुटाने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में कहा गया कि इराक में इस्लामिक स्टेट और लेवांट-खुरासन (आईएसआईएल-के) वर्ष 2019 के अंत में तालिबान लड़ाकों और अफगानिस्तान सुरक्षा बलों से अत्याधिक दबाव में आ गया था। इसी के साथ उसे अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत  में स्थित अफगान मुख्यालय से खदेड़ा जा चुका था।

रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही अफगान अधिकारियों ने आईएसआईएल-के लड़ाकों और उनके आश्रितों समेत 1,400 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया इसके बावजूद यह आतंकी संगठन अब भी क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। इसमें कहा गया, इराक में इस्लामिक स्टेट और लेवांट-खुरासन सक्रिय, महत्वाकांक्षी और डराने वाला बना हुआ है। इसने अपनी ऑनलाइन भर्ती और दुष्प्रचार जारी रखा हुआ है जिसके लिए यह काबुल विश्वविद्यालय समेत अफगानिस्तान के धार्मिक एवं अकादमिक संस्थानों में संपर्क  बनाने गतिविधियों को भी अंजाम देता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि इसने जमात-उल-अहरार, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और लश्कर-ए-इस्लाम समेत अन्य आतंकी संगठनों से अनौपचारिक संपर्क बना लिया है, जो पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर नियमित रूप से हमले करते रहते हैं। आईएसआईएल-के का रुख अफगानिस्तान की सीमा के साथ लगने वाले देशों की सुरक्षा पर खतरे को बढ़ाने में सक्षम है।

रिपोर्ट में बताया गया कि अफगानिस्तान द्वारा हिरासत में लिए गए आईएसआईएल-के के लड़ाकों में अफगानिस्तान के नागरिकों के अलावा, अजरबेजान, कनाडा, फ्रांस, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, तुर्की, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नागरिक शामिल हैं।