चीन की अर्थव्यवस्था की कमर कोरोना के कहर ने तोड़ी, फैक्ट्रियों में आधा हुआ उत्पादन


कोई बीमारी और उसका आतंक कैसे एक मजबूत अर्थव्यवस्था और दुनिया के शक्तिशाली देश को तबाह करती है, इसकी सबसे ताजा मिसाल है कोरोना वायरस। पूरी दुनिया में अपनी ताकत और तरक्की का डंका बजाने वाला चीन कैसे पिछले दो महीनों से लगातार यह जंग लड़ रहा है और कैसे चीन का नाम आते ही आज सस्ते चीनी सामानों की जगह जानलेवा कोरोना के खौफ की खतरनाक तस्वीर उभरती है, यह सबको पता है।


आर्थिक विश्लेषण और सर्वे वाली तमाम कंपनियां ये अंदेशा जता चुकी हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आ रही है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की रिपोर्ट हो या मॉर्गन स्टैनली का ताजा आकलन, अगर चीन के हालात जल्दी से जल्दी न सुधरे तो चीन की पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर में करीब साढ़े तीन फीसदी की गिरावट आ सकती है।

डन एंड ब्रैडस्ट्रीट ने तो फिर भी एक फीसदी गिरावट की बात ही कही है, लेकिन अमेरिकी इन्वेस्टमेंट और बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टैनली ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में काफी गंभीर आशंकाएं जताई हैं। मॉर्गन के विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन में निर्माण का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है, पूरा मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग चरमरा चुका है।

कोरोना (जिसे अब कोविड-19 कहा जा रहा है) की वजह से तमाम यूनिट बंद हैं। कुछ कंपनियां सिर्फ ऑनलाइन काम कर रही हैं। पिछले हफ्ते तक निर्माण के क्षेत्र में अब महज 30 से 50 फीसदी तक काम हो रहा है।

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन का दुनियाभर के बाजार में कपड़े से लेकर मोबाइल और कार तक के निर्माण और सप्लाई का विशाल कारोबार रहा है, लेकिन इस बीमारी के आतंक ने मानो ग्रहण लगा दिया है।

मॉर्गन स्टैनली के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात पर तत्काल काबू पा लिया गया, तो शायद मार्च के अंत तक मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्शन 60 से 80 फीसदी तक हो सकता है।
जानकारों ने ये तो माना कि पिछले कुछ समय से स्थितियां सुधरनी शुरू हुई हैं, लेकिन अभी इसमें अच्छा खासा वक्त लगेगा और यह कहा नहीं जा सकता कि बाजार और उद्योग कबतक पूरी तरह सामान्य हो पाएगा।
 
बेशक यह चीन जैसे देश के लिए एक बड़ा झटका है और इसीलिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बौखलाहट और बेचैनी साफ दिख भी रही है। उनका बार-बार अपनी पार्टी और सरकार के साथ बैठकें करना, हालात का गंभीरता से जायजा लेना, पार्टी के तमाम कतारों को प्रभावित इलाकों में दिन-रात लगा देना और दुनिया को बार बार ये संदेश देना कि ऐसे मौके पर चीन से भागने का नहीं, बल्कि इसके साथ खड़े होने का वक्त है।

जाहिर है यह चीन के भीतर भविष्य को लेकर भरी चिंता और आतंक का ही नतीजा है। हर रोज तमाम देश अपने नागरिक वापस ले जा रहे हैं और कोरोना प्रभावित लोगों के आंकड़े जिस तरह जारी हो रहे हैं, उसी का यह असर है कि विश्व अर्थव्यवस्था को करीब से देखने वाली दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां नुकसान का आकलन करने में लग गई हैं।