कासना थाना पुलिस ने तीन साल पहले नोटबंदी में बंद हुए 500 व 1000 के पुराने नोट बदलने वाले गिरोह का भंडाफोड़


कासना थाना पुलिस ने तीन साल पहले नोटबंदी में बंद हुए 500 व 1000 के पुराने नोट बदलने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे संविदा लिपिक रविंद्र और 10 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है।


बकि एक सिपाही समेत पांच आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम दबिश दे रही है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 500 व 1000 के 4.55 लाख के पुराने नोट और क्रेटा व स्कॉडा रैपिड कारें बरामद की हैं।

डीसीपी ग्रेटर नोएडा जोन राजेश कुमार सिंह के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लोगों से पुराने नोट लेकर फरार आरोपियों से कमीशन लेकर नए नोट में बदलते थे। फरार आरोपी कहां और कैसे नोट बदलते थे इसका पता लगाने के लिए इनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। कासना थाना पुलिस ने सेक्टर ओमीक्रोन-1 के गेट नंबर 4 के पास से शनिवार को आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया।

इनके कब्जे से 2.55 लाख रुपये के पुराने नोट बरामद किए गए। इसके बाद तीन अन्य आरोपियों को उनके घर से दो लाख के पुराने नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया। आरोपी गिरोह बनाकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर से बंद हो चुके 1000 व 500 के नोट एकत्रित करते थे। इसके बाद 10 से 20 प्रतिशत कमीशन पर नए नोट में बदलते थे।

इनकी हुई गिरफ्तारी
संजय निवासी सिकंदराबाद बुलंदशहर, सचिन लडपुरा, सोनू सलेमपुर गुर्जर, जनकराज दाउदपुर, रविंद्र कुमार सेक्टर-36 नोएडा, मनीष मकोड़ा, दीपक कुमार सेक्टर बीटा-2, देवेंद्र शर्मा भजनपुरा दिल्ली, विवेक गोपालपुर दिल्ली, मनोज अजनारा डफलोडेन सेक्टर-137, रमेश सेक्टर बीटा-2 को गिरफ्तार किया गया है। इनके अलावा बिजेंद्र सिंह उर्फ छंगा वजीराबाद दिल्ली, सरदार वजीराबाद दिल्ली, सिपाही सचिन बैंसला, गौतम, सुधांशु जैन निवासी दिल्ली अभी फरार हैं।

आरोपी लेते थे कमीशन पर नोट
गिरफ्तार आरोपी संजय, सचिन, सोनू, जनकराज के साथ मिलकर दिल्ली निवासी देवेंद्र शर्मा, विवेक से पुराने बंद हो चुके नोट लेते थे। देवेंद्र शर्मा पुराने नोट बिजेंद्र सिंह और सरदार से लेता था। विवेक पुराने नोट गौतम से लेता था। संजय पुराने नोट सुधांशु जैन से भी लेता था। आरोपी मनोज चौधरी, दीपक व सिपाही सचिन बैंसला के संपर्क में था और इन्हें पुराने नोट देता था।

दीपक व सचिन मिलकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के संविदा लिपिक रविंद्र और मकोड़ा गांव निवासी मनीष को पुराने नोट देते थे। रविंद्र और मनीष पुराने नोट लेकर नए नोट देने का काम करते थे। रविंद्र और मनीष पुराने नोटों को बीटा-2 ग्रेटर नोएडा में ई-टिकटिंग का काम करने वाले रमेश को बदलने के लिए देते थे।



करोड़ों रुपये के काले धन को खपाया



रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पुराने नोट जमा करने की तिथि निर्धारित की थी। इस समयावधि के पूरे होने के बाद से आरोपी नोट बदलने के फर्जीवाड़े में लिप्त थे।

माना जा रहा है कि एनसीआर में सक्रिय गिरोह करोड़ों के नोट अवैध रूप से बदल चुके हैं। इसमें कोई संशय नहीं जिन लोगों के पास काला धन था। वही लोग रुपये आरबीआई की निर्धारित अवधि में बैंक में जमा नहीं कर पाए थे। आरोपी ऐसे ही लोगों से काला धन लेकर नए नोट देने का धंधा कर रहे थे।

आखिर कहां ठिकाने लगाते थे पुराने नोट
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर गिरोह नोटबंदी के तीन साल बाद देश में बंद हो चुके 500 व 1000 के पुराने नोट कहां ठिकाने लगाते थे। हालांकि, पुलिस का कहना है कि दिल्ली निवासी बिजेंद्र व सरदार की गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले का खुलासा होगा। आरोपी दिल्ली के हैं, इससे आशंका है कि दिल्ली में ही कहीं आरोपी रुपये ठिकाने लगाने का काम करते होंगे।

यादव सिंह मामले में सीबीआई कर चुकी है रविंद्र से पूछताछ
गिरफ्तार किए गए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाबू रविंद्र के बारे में चर्चा है कि उससे यादव सिंह मामले में सीबीआई भी पूछताछ कर चुकी है।