राजनाथ सिंह बोले- मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि मुसलमान जिगर का टुकड़ा है. भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) सांप्रदायिक राजनीति में विश्वसास नहीं रखती है. सांप्रदायिक राजनीति का सवाल ही पैदा ही नहीं होता. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विचारधारा पर बोलते हुए करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुसलमान जिगर का टुकड़ा है और सांप्रदायिक राजनीति का सवाल ही पैदा नहीं होता.


रक्षा मंत्री ने शनिवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में इस बात का खंडन किया कि मोदी सरकार धार्मिक तौर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ है. राजनाथ सिंह ने मेरठ और मेंगलुरु में अपनी दो मेगा रैलियों का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने पहले भी अपनी मेरठ और मेंगलुरु की रैलियों में कहा है कि मुसलमान भारत का नागरिक और हमारा भाई है. वह हमारे जिगर का टुकड़ा है.


राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने शुरुआत से ही मुस्लिम नागरिकों के अंदर डर हटाने और उनमें आत्मविश्वास भरने की कोशिश की है. राजनाथ सिंह ने कहा कुछ ताकतें हैं, जो उन्हें गुमराह कर रही हैं. लेकिन बीजेपी किसी भी स्थिति में भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं जा सकती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत से ही 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा दिया है. जाति, धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता. हम इसके बारे में सोच भी नहीं सकते.


रक्षा मंत्री  ने विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें हैं, जो केवल वोट बैंक के बारे में ही सोचती हैं. सांप्रदायिक राजनीति के लिए नेताओं को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति महज वोटों के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण करने के लिए करनी चाहिए.


हिंदुत्व भेदभाव का पक्षधर नहीं


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यहां तक कि जो हिंदुत्व की विचारधारा में विश्वास करते हैं, वे भी पहचान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते, क्योंकि हिंदुत्व का मतलब ही 'वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है )' है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके अलावा कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नजरबंदी से जल्द रिहा होने की प्रार्थना कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वे कश्मीर में हालात को सामान्य बनाने में योगदान देंगे.


कश्मीर पर क्या बोले रक्षा मंत्री?


केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया था, जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया. इसी समय से एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से महबूबा मुफ्ती सहित दर्जनों राजनेताओं को नजरबंद कर दिया गया था.


हालांकि इसके बाद से अधिकांश राजनेताओं को रिहा कर दिया गया है, मगर तीनों पूर्व मुख्यमंत्री और एक दर्जन राजनेताओं को अभी भी नजरबंद रखा गया है.


नजरबंद नेताओं की रिहाई के लिए प्रार्थना


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "कश्मीर शांतिपूर्ण रहा है. स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है. सुधार के साथ-साथ इन फैसलों (नजरबंदी से राजनेताओं की रिहाई) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा. सरकार ने किसी को भी प्रताड़ित नहीं किया है."


सरकार के फैसले का बचाव करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि कश्मीर के हितों में कुछ कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि हर किसी को इसका स्वागत करना चाहिए. राजनाथ सिंह ने कहा कि फारूक उमर व मुफ्ती की जल्द रिहाई के लिए प्रार्थना करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं यह भी प्रार्थना करता हूं कि जब वह बाहर आएं तो कश्मीर की स्थिति को सुधारने में अपना योगदान दें.