अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी शुरू



तालिबान से समझौता के बाद अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी की शुरूआत कर दी है। बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने अपनी सेना के अफगानिस्तान से वापसी के लिए तालिबान से शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था।हालांकि इस समझौते के बाद भी अफगानों को आशंका है कि अमेरिका ने उन्हें अधर में छोड़ दिया है। चूंकि तालिबान ने अपने साथियों की रिहाई न होने पर अफगान सरकार से युद्ध का मोर्चा खुला रखा है इसलिए उसके सीधे हमले रुकने के आसार नहीं हैं। अब अमेरिका इसमें दखल नहीं देगा, इस कारण लोगों में भय है।अफगानिस्तान में जिन लोगों को तालिबानी शासन का पता है वे जानते हैं कि 2001 में क्या हालात थे। खासकर महिलाओं को चिंता है कि उनके अधिकारों पर कई रुकावटें लग जाएंगी। तालिबान कहता है कि वह बदल गया है लेकिन लड़कियों को स्कूल जाने या महिलाओं को काम चुनने की आजादी नहीं के बराबर ही होगी। तालिबान सह-शिक्षा को स्वीकार नहीं करेगा।महिलाएं अब भी पुराने दिनों को याद करके सहमी हुई हैं। तालिबान ने जो बदलाव किए हैं उनके मुताबिक महिला जज तो बन सकती है लेकिन मुख्य न्यायाधीन नहीं, नेता बन सकती है लेकिन पीएम नहीं। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के इस बयान से अफगानी लोग ज्यादा चिंतित हैं कि अफगान सरकार के विरुद्ध उनका अभियान पहले की तरह ही जारी रहेगा। हालांकि विदेशी बलों पर वह हमला नहीं करेगा।




वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिकी फौज के हटते ही तालिबान फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लेगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है और ऐसा होकर रहेगा, लेकिन आखिर अमेरिका कब तक किसी देश की मदद करता रहेगा। हर देश को आत्मनिर्भर होना चाहिए और अपनी समस्याएं खुद सुलझानी चाहिए। हम अगले बीस सालों तक वहां नहीं रह सकते।