कोरोना स्टेज-2 में पहुंचा भारत में , स्टेज-3 से रोकने को है 30 दिन का समय


 

चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनिया के कई देशों में अपना पांव पसारता जा रहा है। भारत में भी रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली के जनकपुरी में महिला की मौत के साथ भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या दो हो गई, जबकि इससे संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार देश में यह महामारी अभी दूसरे स्टेज में है और इसे रोकने के लिए सरकार ने ठोस कारगर कदम नहीं उठाए तो स्थिति बिगड़ सकती है। भारतीय स्वास्थ्य शोध परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक अभी इसे अगले स्टेज से रोकने के लिए सरकार के पास एक महीना है। 
 
सबसे पहले जानते हैं कि किस स्टेज में स्थिति कितनी खतरनाक होती है: 


  • स्टेज-1: संक्रमित जगहों से वायरस फैलने के मामले सामने आते हैं

  • स्टेज-2: स्थानीय लोगों में फैलना शुरू होता है, मामले बढ़ने लगते हैं

  • स्टेज-3: बड़े पैमाने पर यह समुदायों, मोहल्लों में फैलने लगता है

  • स्टेज-4: बीमारी महामारी में बदल जाती है, कहना मुश्किल कि कब-कहां खत्म होगी 






आईसीएमआर के निदेशक जनरल बलराम भार्गव के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस को अगले स्टेज में पहुंचने से रोकने के लिए एक महीने का समय है। इस बीच पर्याप्त उपाय कर के इसे स्टेज-3 में पहुंचने से रोका जा सकता है। उनके मुताबिक सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है। 

जनरल भार्गव के मुताबिक स्टेज-3 में वायरस बड़े पैमाने पर लोगों में फैलने लगता है, जबकि स्टेज-4 में महामारी की स्थिति हो जाती है। चीन और इटली में कोरोना वायरस संक्रमण इससे भी अगले स्टेज में पहुंच चुका है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना वायरस खत्म कब होगा।






आईसीएमआर के महामारी विशेषज्ञ प्रमुख डॉ. आरआर गंगाखेडकर के मुताबिक देश में संक्रमण ज्यादातर ऐसे लोगों से फैला, जो अन्य देशों की यात्राएं कर के लौटे हों। ऐसे लोगों ने कोरोना वायरस से प्रभावित देशों की यात्राएं की और कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने से बीमार हुए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों में सीजनल फ्लू और सर्दी-बुखार के लक्षण हैं, उन्हें टेस्ट कराने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि वायरस का प्रभाव फिलहाल देश में भी सीमित जगहों पर ही है। जिन लोगों में कोरोनावायरस के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है। 

अगर कोरोना तेजी से फैलता है तो कितने तैयार हैं हम
फिलहाल कोरोना वायरस को रोकने के लिए सरकार तैयारी में है और कदम भी उठा रही है। लेकिन एक सवाल यह भी है कि यदि देश में कोरोना तेजी से और बड़े स्तर पर फैलता है और महामारी की तरह समुदायों को प्रभावित करने लगता है तो इसके लिए क्या भारत के पास निदान के लिए पर्याप्त परीक्षण किट हैं? 

इस सवाल पर आईसीएमआर डीजी भार्गव बताते हैं कि यदि वायरस तेजी से फैलता है और महामारी का रूप लेता है तो देश में टेस्टिंग के लिए पर्याप्त किट हैं। फिलहाल देश के अलग अलग राज्यों में 51 लैब कोरोना वायरस की टेस्टिंग कर रही हैं। इन लैबों की क्षमता एक दिन में 4590 टेस्ट करने की है। 

आईसीएमआर ने पूरे देश में 106 वायरस रिसर्च और डायग्नॉस्टिक लैब तैयार किया है, जहां सर्दी-जुकाम, बुखार के मरीजों के भी नमूने लिए जा रहे हैं। 15 फरवरी से लेकर 29 फरवरी के बीच 13 लैब में लिए गए 20 सैंपल निगेटिव मिले। 15 मार्च को फिर से सैंपल लिए जाएंगे, ताकि वातावरण में इसके फैलने की सही जानकारी मिल सके।





डीजी भार्गव ने कहा कि टेस्ट के लिए हमें मुख्यत: दो केमिकल एजेंट प्राइमर और प्रॉब की जरूरत होती है। प्राइमर स्थानीय स्तर पर तैयार किया जा सकता है, जबकि प्रॉब हमें खरीदना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर लैब नेटवर्क में फिलहाल एक लाख प्रॉब उपलब्ध हैं और इसके अलावा दो लाख अतिरिक्त प्रॉब खरीदे जा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से भी संपर्क किया गया है, जिन्होंने परीक्षण किट तैयार किया है और हमें आपूर्ति करने को राजी हैं। टेस्ट किट में कहीं कोई कमी न हो, हम यह सुनिश्चित करने में लगे हैं।  आईसीएमआर विशेषज्ञों के अनुसार, देश में शुक्रवार तक करीब 6500 टेस्ट किए गए, जिनमें से 78 लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। यानी कि महज 1.4 फीसदी लोगों में पुष्टि हुई।

आईसीएमआर के एक अधिकारी ने कहा कि हमने लगभग 1,000 लोगों का परीक्षण किया है, जिन्हें चीन, ईरान और इटली से निकाला गया था। परीक्षण के लिए हमने पहले निजी लैब की जरूरत महसूस नहीं की थी, हालांकि अगर जरूरत पड़ी तो अब इस बारे में सोचेंगे। आईसीएमआर के अधिकारी के मुताबिक, देश आगे की स्थिति से निबटने के लिए पूरी तरह तैयार है।