'आगरा मॉडल' कोरोना को हराने में रहा कामयाब ,ऐसे मिली कामयाबी


देशभर में कई इलाके कोरोना संक्रमण के हॉटस्पॉट बन गए हैं. सरकार इनको अलग तरीके से निपटने की कोशिश कर रही है. कई जगह के प्रयोग सफल भी रहे हैं. राजस्थान के भीलवाड़ा मॉडल की खूब तारीफ हुई. इसके बाद पुणे में इस पर काम हुआ. अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो बताया है, वह अच्छी खबर है कि आगरा में स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन ने जो रणनीति कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़ने के लिए अपनाई थी, वह कारगर साबित हुई. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में आगरा एडमिनिस्ट्रेशन कामयाब हो गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने केंद्र सरकार की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी और आगरा एडमिनिस्ट्रेशंस और कम्युनिटी हेल्थ वर्कर की तारीफ की. 


चरणबद्ध तरीके से संक्रमण फैलने से रोका
स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रजेंटेशन के जरिए उन सारे बिंदुओं को समझाया कि किस तरह से आगरा में पूरे इलाके को सबसे पहले कंटेंटमेंट किया गया और फिर क्या से चरणबद्ध तरीके से संक्रमण फैलने से रोका गया. देश के पहले हॉटस्पॉट क्लस्टर के तहत सबसे पहले स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय की निगरानी में कम्युनिटी हेल्थ वर्कर के साथ मिलकर containment and Rapid emergency response system तैयार किया. हौसला बढ़ाने के लिए नारा दिया गया टुगेदर आगरा विल विन (Together Agra will win).  


ऐसे शुरू की गई ट्रैवल हिस्ट्री को जानने की कोशिशि
सबसे पहले आगरा में संक्रमण का मामला जहां से शुरू हुआ, उसको ट्रेस किया गया. उसकी पूरी हिस्ट्री पता की गई और यह पता किया गया कि जब से वह सामने आया है, कहां-कहां गया है, किस-किस से मिला है. स्वास्थ्य विभाग की टीम को जानकारी लेने पर पता चला कि वह शख्स  25 फरवरी को इटली से नई दिल्ली आया और 25 फरवरी को ही वह शख्स आगरा पहुंचा. अपने घर में रूका और उसी दिन वह शख्श फैक्टरी भी गया.  


26 तारीख को वह शख्स घर में रुका, फिर फैक्ट्री गया और इसके बाद 27 को भी घर में रुका. आगे जब उसकी और हिस्ट्री पता की गई तो यह भी पता चला कि 28 फरवरी को वो रेस्टोरेंट भी गया था और फैक्टरी भी गया. फिर 29 तारीख को फिर रेस्टोरेंट गया. आगे 1 मार्च को फिर वह घर ही रहा. इसके बाद 2 मार्च को आगरा के डिस्टिक हॉस्पिटल गया, जब उसको कोरोना संक्रमण के कुछ लक्षण सामने आए. 


अब प्रशासन के लिए इस शख्स और इस शख्स से मिले लोगों को आगरा जैसे शहर में तलाशना उनको क्वॉरेंटाइन करना एक चुनौती भरा काम था.  व्यापक तौर पर मेन पावर बड़े पैमाने पर कोआर्डिनेशन और तमाम तरह की सावधानी बरतने की जरूरत थी. लिहाजा एडमिनिस्ट्रेशन ने फाउंडेशन के लिए एक पूरी रिंग बनाई. 


क्लस्टर लॉकडाउन करने की ऐसे की गई तैयारी
integrated control and command Centre (ICCC) of Agra Smart City जो कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बना था, उसको वॉर रूम में कन्वर्ट किया गया. आगरा जिले में  सेंट्रल हेल्पलाइन शुरू की गई. मल्टीफंक्शनल डिस्ट्रिक्ट टीम का गठन किया गया इसके साथ ही एसएसपी ने पुलिस और ट्रैफिक पुलिस की टीमों को बनाकर क्लस्टर लॉकडाउन करने की तैयारी की. कोविड वार रूम  बनाने के साथ-साथ यह सारा प्लान जिला प्रशासन ने तैयार किया. इसके बाद से एक्शन शुरू हुआ और जहां से पहला मामला सामने आया था. उस एपिकसेंटर के 3 किलोमीटर के दायरे को चिह्नित किया गया. पहले एपी सेंटर के दायरे में जो नागरिक आए उनकी संख्या लगभग 9:30 लाख थी. 


कम्युनिटी हेल्थ वर्कर स्नेह सभी घरों में सर्वे का काम करना शुरू किया और कम्युनिटी हेल्थ वर्कर ने 1 लाख 65 हजार लोगों की घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की. इतने बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग करने के लिए 1248 टीम को एडमिनिस्ट्रेशन ने रिप्लाई किया. हर टीम में दो लोग थे. यानी कुल 2500 लोगों को इस काम में लगाया गया आंगनबाड़ी वर्कर आशा वर्कर और तमाम सहायक कार्यकर्ता थे. 


इंटेक्स ने घर-घर जाकर यह पता लगाया कि किसी को कफ खांसी सर्दी जुखाम या फीवर के लक्षण तो नहीं है और पूरे 3 किलोमीटर के दायरे में लगभग 9, 30, 000 लोगों में से करीब 2500 लोगों को चिह्नित किया गया जिनमें इस तरह के लक्षण थे. इनमें 36 लोग ऐसे पाए गए जो 28 दिनों के भीतर कहीं ना कहीं विदेश की यात्राएं करके आए थे और उनमें से तीन में मेडिकल लक्षण पाए गए. इस बड़े सर्वे की कमांड जिला प्रशासन के हाथ में थी. कोविड वॉर रूम चौबीसों घंटे तालमेल बना रहा था.