गलत क्यों साबित हो रहे हैं कोरोना वायरस के लक्षण?


कोरोना वायरस इटली और अमेरिका के बाद भारत में तेजी से पांव पसार रहा है। भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6,412 हो गई है जबकि मृतकों की संख्या 199 पहुंच गई है। कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके कुछ लक्षण बताए थे जिनमें तेज बुखार, सूखी खांसी और गले में दर्द जैसे लक्षण शामिल थे, लेकिन जैसे-जैसे कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ये लक्षण गलत साबित होते जा रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कोरोना संक्रमण के कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें कोई लक्षण ही दिखाई नहीं दिए हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

1. हवा में नहीं फैलता कोरोना वायरस?


पहले कहा गया कि कोरोना वायरस हवा में नहीं फैलता है। ऐसे में स्वस्थ इंसान को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। कई बड़े डॉक्टर्स ने मास्क ना पहनने की अपील की। भारत सराकार की ओर से भी कहा गया कि मास्क की जरूरत सभी को नहीं है, लेकिन अब कई देशों में मास्क पहनना अनिवार्य हो गया है। महाराष्ट्र में बिना मास्क बाहर निकलने पर गिरफ्तारी हो सकती है। दरअसल जब कोरोना से संक्रमित कोई शख्स खांसता है तो उसके मुंह से निकलने वाले कफ के छींटों से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। तो अब सवाल यह है कि यदि हवा में कोरोना नहीं फैलता है तो मास्क पहनने की क्या जरूरत है?

2. कोरोना से बचने के लिए एक मीटर की दूरी है जरूरी


दावा था कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए एक मीटर की दूरी जरूरी है। कई दुकानों पर एक-एक मीटर की दूरी पर गोल घेरे बनाए गए, लेकिन बाद में एक रिसर्च में दावा किया गया कि आठ मीटर की दूरी से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। भारत सरकार की आरोग्य सेतू एप में बताया गया है कि लोगों से छह मीटर की दूरी रखें। तो देखा जाए तो एक मीटर की दूरी वाला दावा भी गलत साबित हो रहा है।