पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अय्यूब सर्जन द्वारा हुई प्रेस वार्ता का आयोजन


लखनऊ पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अय्यूब सर्जन में कहा कि सभी पार्टीयों की सरकारों ने धान की मूल भावना के अनुरूप कार्य नहीं किया। इनकी नीती व नियत ठीक नहीं रही है। वह कहते कुछ और करते कुछ और है, जो पार्टिया सेकुलर विचार धारा का दावा करती है। मगर वास्तव में यह पार्टियां सभी धर्मों का सम्मान नहीं करती और धर्म के आधार पर संवैधानिक अधिकारों से भी वंचित करती रही है। सन 1950 में धर्म के आधार पर हिन्दू दलितों को तो आर दिया गया और भेद भाव के चलते मुस्लिम व इसाईयों को आरक्षण नहीं दिया जो संविधान व तथाकथित सेकुलर्जम के दावा के विरुद्ध है। इससे सिद्ध होता है कि सेकुलर्जम का दावा करने वाली पार्टियां सही मायने में सांप्रादायिक हैं। उन्होंने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते उक्त विचार व्यक्त किया। डा0 अय्यूब सर्जन ने कहा कि हिन्दुत्व व वसुधेवकुटुंबम का दावा करने वाली पार्टियों के शासन में राष्ट्रपति तक को जो अपने को हिन्दू मानते हैं उन्हें भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी हिंदुत्व व वसुधेवकुटुंबम का नारा केवल दलितों को वोट के लिए भर्मित करना है और न कि एक परिवार कि तरह से समाज में बराबर का सम्मान अधिकार देना है पिछड़ो का नारा देकर सत्ता में आने वाली पार्टियां सत्ता का दुरूपयोग कर केवल अपनी जाति को सरकारी नौकरी आदि देकर लाभान्वित करती रही है जबकि अन्य पिछड़ो की कोई भागीदारी नहीं है। पंद्रह पचासी का नारा देने वाली पार्टी जब बहुजन के उत्थान की बात आती है तो उक्त पार्टी सत्ता में आने के बाद धर्म के आधार पर दलितों में भी बटवारा करती है और मुस्लिम इसाई दलितों को उनका अधिकार दिलाने का कभी प्रयास नहीं करती। पूर्ववर्ती सभी पार्टीयों की सरकारों ने नारा चाहे जो भी दिया हो, मगर उन्होंने संविधान की अवहेलना कर देश के नागरिकों के बीच धर्म जाति के आधार पर विकास व न्याय देने के सभी लाभ से वंचित रखा जो राष्ट्रवाद की मूल भावना के विरुद्ध है, क्योंकि सत्ता में आने के बाद देश के सभी नागरिकों को समान रूप से न तो विकास और न ही न्याय का अवसर दिया यही कारण है कि आज जो समाज असंगठित व सत्ता कि भागीदारी से वंचित है और पूर्ववर्ती सभी सरकारों में वह शोषण, उत्पीडन व उपेक्षा का शिकार रहा है और आज समाज में वह सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से हाशिए पर है, इसमें देश का मुस्लिम बहुसंख्यक पिछड़ा व दलित व कुछ सवर्ण समाज के लोग भी शामिल हैं, और सभी पार्टियां इन वर्गों को राजनीतिक रूप से गुलाम बनाकर वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती रहीं हैं। पीस पार्टी इन सभी उपेक्षित समाज को इनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए 2008 से संघर्ष कर रही हैं, ताकि इन उपेक्षित समाज को अधिकार व सम्मान मिल सके । देश में आगामी 2024 के संसदीय चुनाव को लेकर गठबंधन A का दौर चल रहा है, और सभी पार्टियां हर प्रकार से धन, बल, छल, और अपने संगठन का दुरूपयोग कर सत्ता हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं । एक तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में इण्डिया तो दूसरी तरफ सत्ता दल भाजपा के नेतृत्व में एनडीए व बसपा उत्तर प्रदेश में राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर कर आयी है। पीस पार्टी उक्त तीनो शक्तियों को समान रूप से देखती है, अभी तक इन शक्तियों के साथ पीस पार्टी गठबंधन में शामिल नहीं है, जो भी इण्डिया एनडीए व बसपा उपेक्षित समाज को राजनीतिक गुलाम बनाने के सापेक्ष जो भागीदारी देगा, पीस पार्टी उससे गठबंधन करेगी।