आंबेडकरवाद से ही होगा प्रबुद्ध भारत का निर्माण गौतम राणे




       गांधी प्रेक्षागृह में आहूत डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय अधिवेशन में सभी देशवासियों ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया किया कि भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा करने के लिए एक ही विकल्प है, वह है अंबेडकरवाद। हाल खचाखच भरा हुआ था। लोगों को बैठने में काफी मुश्किल खड़ी हो गई थी। सभागार में लगी कुर्सियों की तुलना में भीड़ कई गुना अधिक थी।

      राम बहादुर(सेनि आईएएस) मंच के संरक्षक ने कहा कि भारत में समग्र विकास की परिकल्पना तभी सार्थक होगी जब देश में उपलब्ध सभी संसाधनों का न्यायपूर्ण बंटवारा हो। जब तक देश में जातीय व वर्ग आधारित आर्थिक व्यवस्था को तरजीह दी जाएगी देश का वास्तविक विकास होना संभव ही नही है। जातीय और वर्गीय मानसिकता को प्रश्रय देना देश की प्रगति में अवरोध उत्पन्न करने का कुचक्र है। देश का सच्चा सिपाही इस मनोवृत्ति को बर्दाश्त नही कर पायेगा। डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि हम भारत को हाल हर हाल में प्रबुद्घ भारत बनाएंगे और देश को विकसित राष्ट्रों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करेंगे। अवरोधों को रौदना पड़ा तो हम बेरहम होने में भी संकोच नही करेंगे।

      विशेष आमंत्रित अतिथि गौतम राणे सागर राष्ट्रीय संयोजक संविधान संरक्षण मंच ने कहा कि देश को एकीकृत रखने की जिम्मेदारी खास तौर से बहुजन समाज की है। बहुजन समाज को संवैधानिक अधिकार और संरक्षण आंदोलन चलाने की जरूरत है। देश की न्याय पालिका, कार्यपालिका और मीडिया में देश के सभी हिस्सेदारों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना आवश्यक तो है ही इसके लिए सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को दिल की गहराइयों से नैतिक होने की जरूरत है। मन की बात से काम नही चलेगा। संविधान के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व ईमानदारी से वितरण करना ही होगा। जब इसी देश में राजनीतिक तौर पर एससी/एसटी को 2001 की जनगणना को आधार मानकर लोक सभा में 24.25% सीट आरक्षित की जा सकती है तब नौकरियों में अभी तक सिर्फ 22.5% आरक्षण की व्यवस्था ही क्यों रखी गई है? संविधान के देश में इतना अनर्गल संपत्तियों एवं संसाधनों का वितरण आखिर कब तक होगा? क्यों एससी/एसटी, ओबीसी समाज अन्याय के इस ताण्डव को बर्दाश्त कर रहा है? वक्त करवट ले रहा है, यह समाज भी करवट लेने को तैयार है। अपने हितों की रक्षा के लिए यह समाज अब खुद नीति बनायेगा और कार्यान्वयन भी तय करेगा। अभी तक के शासकों में न्यायिक चरित्र उसी तरह विलुप्त दिखा है जिस तरह हमारे देश में सरस्वती नदी विलुप्त है। दोनो का अस्तित्व समझ से परे है।सभा की अध्यक्षता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष भवन नाथ पासवान ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने सभी आगंतुकों का माला पहनाकर स्वागत किया। दूर दूर से आए प्रतिनिधियों/लोगों का आभार व्यक्त किया।सभा का सफ़ल संचालन मंच के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर एस पी सिंह ने किया।

   



विभिन्न प्रदेशों से आए प्रतिनिधियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।